जिन्हें नहीं है अभी तक बलंदियों का पता
वो फा़ख़ते को उडा़ने की बात करते हैं
भटक रहे हैं जो सहरा में बे-सरो सामान
वो हमसे गाँव बसाने की बात करते हैं
वो फा़ख़ते को उडा़ने की बात करते हैं
भटक रहे हैं जो सहरा में बे-सरो सामान
वो हमसे गाँव बसाने की बात करते हैं
-------डा.कमला सिंह 'ज़ीनत'
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16-4-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1948 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16-4-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1948 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बेहतरीन रचना
ReplyDelete