Tuesday 30 May 2017

एक ग़ज़ल देखें 
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खूबसूरत   कोई     रिश्ता   रखिये 
कुछ  तो इंसानियत  ज़िंदा रखिये 

वक़्त   के   साथ   सब  फ़ना  होंगे 
खुद को जैसे भी हो लिखता रखिये 

लोग  आयेंगे  कई  कल  के  साथ 
मख़मली  खुशनुमा  रिश्ता रखिये 

रूह  निकलेगी  कब  किसे  मालूम 
हो   सके   कारवाँ    चलता  रखिये 

महफ़िलों  में  सुख़नवरों  के  साथ 
आप  भी  खुद  को दिखता रखिये 

शोख़  कलियों में आप भी 'ज़ीनत'
ज़िंदगी  भर  यूँ  ही महका रखिये 

----कमला सिंह 'ज़ीनत'

Wednesday 17 May 2017

मेरी 'माँ'
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दुनिया में उससे सुंदर
मुखडा़ न कोई देखा
दुनिया में उससे अच्छी
तस्वीर भी न पाई
ये मानना था मेरा
शायद हो मेरी चाहत
शायद मेरी मुहब्बत
या मेरे देखने का
अन्दाज़ प्यार का हो
पर ये तो बिल्कुल सच है
ऐसी ही कुछ नज़र है
ऐ 'माँ' तेरा असर है।
****कमला सिंह "जी़नत"

Saturday 6 May 2017

मौन संवाद
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उम्मीद का घोडा़
जब घायल होता है
सवार के मन में
खोट उतर आता है
घोडा़ लाख घायल हो
दौड़ जारी रखना ही चाहिये उसे
ज़ख़्मी घोडे़ का सवार
बेमरव्वत बन सकता है
बेदिल निकल सकता है
घोडे़ और सवार के बीच
पुचकार का संवाद
स्वस्थ रहने तक
--कमला सिंह 'ज़ीनत'