दिल के जज़्बात
Sunday 3 May 2015
हर इक मौसम मुझे पतझड लगे है
न हो दीवार भी तो सर लगे है
करूँ मैं बात उससे भी तो कैसे
करे वो बात तो नश्तर लगे है
---कमला सिंह 'जीनत'
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