जिन्हें नहीं है अभी तक बलंदियों का पता
वो फा़ख़ते को उडा़ने की बात करते हैं
भटक रहे हैं जो सहरा में बे-सरो सामान
वो हमसे गाँव बसाने की बात करते हैं
वो फा़ख़ते को उडा़ने की बात करते हैं
भटक रहे हैं जो सहरा में बे-सरो सामान
वो हमसे गाँव बसाने की बात करते हैं
-------डा.कमला सिंह 'ज़ीनत'