Sunday 1 September 2013

मेरे जिंदगी का हसीन लम्हा

मेरी जिंदगी का हसीन लम्हा था मेरा वो पल 
हाँ सच। …… 
बहुत खुबसूरत 
बेहद प्यारा ,बेहद हसीन 
एक यादगार पल 
मेरी जिंदगी का। …………… 
हाँ भई मेरी जिंदगी का 
धीरे धीरे जब वो पल करीब आ रहा था 
धड़कने मेरी बढ़ती जा रही थी 
ख़ुशी से। ……। 
आज अरमान पूरा होनेवाला था 
मेरा। ………… 
हाँ मेरा अरमान ,मेरी चाहत ,मेरी इच्छा 
आँखे बार-बार दरवाजे की तरफ उठ रही थी 
इंतज़ार था मुझे 
इंतज़ार था मुझे मेरे सपनों का 
जिसको पिरोया था मैंने 
बड़े जतन से 
उसमें मेरे दुःख,दर्द,और प्यार 
सब कुछ पिरोया था ,…… 
तब जाकर पूरी हुई थी वो माला 
और आज। ……………. 
और आज उस माला की तारीफ़ का दिन था 
जिसे मैंने एक एक लम्हे को लेकर पिरोया था 
शिद्दत से सभी लम्हों को जिया था मैंने 
हाँ। …………। याद है वो पल 
मेरा हर वो पल 
जिसे अपने दिल के आशियाने में 
धरोहर के रूप में रखा था 
या यूँ कहिये आज भी रखा है 
आखिर वो पल भी आया 
बेसब्री से इंतज़ार था जिसका 
मेरी खुशियों का पल 
मेरे दरवाजे पे दस्तक जो दे रही थी 
मान ,सम्मान और इज्ज़त के साथ 
वो आई मेरी जिंदगी का पैगाम लेकर 
एक नयी उम्मीद और
एक नयी रौशनी के साथ 
मेरा दामन खुशियों से भर गयी 
जाते-जाते मेरी जिंदगी को 
एक नया जोश और उत्साह देकर 
एक नया मोड़ देकर 
एक नया सन्देश देकर 
खुशबू से सरोबार करती हुई 
मेरा दामन 
जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत 
मेरे हाथों में सौप कर 
मेरी जिंदगी को इतिहास बनाकर 
प्यारी मुस्कान देकर 
वो चली गयी। ……………. 
मेरी जिंदगी में फिर से 
वापस नयी उम्मीद लेकर 
नयी रोशनी लेकर 
आने के लिए। …………… 
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 

2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती,धन्यबाद।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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