Sunday 29 September 2013

ख्वाबों आकर बता गया वो सांसों में अपने बसा गया वो
भटकता था वीरान गलियों में मंजिल मुझको बना गया वो
साँसे महकती हैं खुशबू से मेरी चमन की रानी बना गया वो
प्यासी थी रूह बरसों से जिसकी तिश्नगी अपनी बुझा गया वो
बेचैनियों पे थी बादशाहत जिसकी सुकून मेरा मुझसे चुरा गया वो
जिंदगी ए जहां का राजा अकेला ज़ीनत,रानी दिल का बना गया वो
-------------------कमला सिंह ज़ीनत

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