Monday 2 September 2013

----------मेरे किताब का एक पन्ना
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ये भी आदाब मुहब्बत ने गंवारा न किया
उसकी तस्वीर सीने से लगायी न गयी
देखते ही देखते खो गया सब कुछ 
बर्बादी पे अपने आंसू भी बहाए न गए
खाक में मिल गए ,दिल के अरमां सभी
ये कहानी भी मुझसे ,सुनाई ना गयी
लुटनेवाले ने लुटा इस तरह की
दिल की दुनिया फिर से बसाई ना गयी
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत

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