Wednesday 25 September 2013

tum

कल मैं तुमसे मिली 
अपनी जिंदगी से मिली 
तुम मेरी जिंदगी हो ,यही कहना चाहते थे  ना तुम भी  ?
मुझसे 
शायद ये बात तुम्हें मालूम नहीं तुम्हें 
लेकिन 
हकीकत यही है 
या यूँ समझ लो 
मैं तुम्हारी जिंदगी हूँ 
उत्साह और जीवन से भरपूर 
मैंने तुम्हारी आँखों में प्यार देखा 
वो शिद्दत देखी 
जो तुमने १ बरस में साधा है 
बेशुमार प्यार था आँखों में तुम्हारे 
मेरे लिए। ………। 
कितनी हसरतें,,कितने ख्वाब थे 
जो तुमने देखे थे मेरे लिए 
रूबरू देखा मैंने 
वो सुकून ,वो एहसास 
जो तुम्हारे चेहरे से साफ़ झलक रहा था 
मुझसे मिलने के बाद 
तुम्हारी जुबान कह नहीं पा रहे थे 
लेकिन मैं समझती हूँ तुम्हारी मौन भाषा 
चाहे तुम ना कहो 
समझती हूँ मैं तुमको 
तुम्हारी धडकनें गवाही दे रही थी। ……. 
सीने शोरे था। …… जो शायद 
अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे थे 
क्यों नहीं कह पाए तुम ?
की तुम्हारे सांसों में मैं बसती हूँ ?
लेकिन तुम्हारे प्यार की पाकीजगी को समझा मैंने 

ये भी जाना की प्यार क्या है। ………. 
जिंदगी क्या है। ………. 
एहसास और सुकून क्या है ………।
पा लिया मैंने सब कुछ 
अपने जीवन में 
जानते हो कहाँ ?
तुम में ……………. 
तुम्हीं मेरी जिंदगी हो 
तुम्ही मेरी बंदगी 
मेरा प्यार। … 
मेरी इबादत …. 
सब कुछ 
सब कुछ। ……………. 
-कमला सिंह ज़ीनत  

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