Monday 3 June 2013

लोग कहते है की खुद ही एक ग़ज़ल हूँ मैं 
किसी के आँखों का काजल तो ,
किसी के लिए अल्लाह की फज़ल हूँ मैं,
जाफरानी हूँ, किसी के लिए तो ,
किसी के सपनों का महल हूँ मैं 
माहताब हूँ किसी के दिल का 
तो किसी का बीता कल हूँ मैं।
क्या कहूँ खुद को खुद के बारे में,
अल्लाह की बनायी सिर्फ और सिर्फ ,
एक 'पहल' हूँ मैं।। 
--------------------कमला सिंह --------

log klehte hain ki .khud ik gazal hun main 
kisi ki aankhon ka kajal,tho kisi ke 
allah ka fazal hun main,
jafrin hu kisi ke liye tho,
kisi ke sapno ka mehal hun main,
mahtaab hu kisi ke dil ka 
tho kisi ka bitaa kal hu mai ,
kya kahu khud ko khud ke bare me 
allah ki banayi sirf aur sirf ,
ek 'pehal' hu mai ....
-----------------kamla singh ---------

4 comments:

  1. कमला सिंह जी,

    अल्लाह की बनायी सिर्फ और सिर्फ ,
    एक 'पहल' हूँ मैं।।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

    जफरीन पर स्वयं निर्णय करे.

    धन्यवाद

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  2. वाह वाह क्या कहने माशाल्लाह जवाब नहीं आपका कुछ ही पंक्तियों में इतनी गहरी बात कह दी आपने, मन मोह लिया आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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