Friday 29 May 2015

यूँ जन्नत में तुम घर अपना बनाओ
कुछ अपने तौर पे खुदको सजाओ
न दौलत काशी - काबे में लुटाओ
इन्हीं पैसों से मुफलिस को पढाओ

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