Saturday 21 February 2015

सबसे आला मेरा मालिक आले से भी आलों में
देता है दिन रात मुसर्रत सब्रो सुकून के प्यालों में
कैसे सता पायेंगी बोलो इस दुनिया की बद रुहें
मेरे हक़ की भी तो दुआ है पत्थर तोड़ने वालों में

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