यही है आरजू़ दिल की यही दिल का फ़साना है
उसी बचपन की यादों को मुझे फिर से सजाना है
खुदाया जि़ंन्दगी पिछली मुझे लौटा दुआओं से
मुझे है दौड़ना जी भर मुझे चरखी़ नचाना है
उसी बचपन की यादों को मुझे फिर से सजाना है
खुदाया जि़ंन्दगी पिछली मुझे लौटा दुआओं से
मुझे है दौड़ना जी भर मुझे चरखी़ नचाना है
डा.कमला सिंह जी़नत
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