Thursday 4 September 2014

एक मतला एक शेर
है चमन आज तेरा खा़ली आ
आ निकलकर कहीं से माली आ
मेरी ग़ज़लें पसंद हैं न तुझे
गा रही हैं तमाम डाली आ
कमला सिंह 'ज़ीनत'

No comments:

Post a Comment