Saturday 15 April 2017

कहीं दरिया की मौजें और धारे हम हुए 
अगर सैलाब आए तो किनारे हम हुए 
अमावस की रेदा में चाँद जब परदा हुआ 
अंधेरे को मिटाकर तब सितारे हम हुए 
---कमला सिंह 'ज़ीनत'

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