चार मिसरे
ऐ समुंदर तेरी हस्ती से भी लड़ जाएँगी
कश्तियाँ टूट के भी पार उतर जाएँगी
जिन ज़मीनों पे ठिकाना है हमारा सुनले
मछलियाँ तेरी चली आएँ तो मर जाएँगी
कश्तियाँ टूट के भी पार उतर जाएँगी
जिन ज़मीनों पे ठिकाना है हमारा सुनले
मछलियाँ तेरी चली आएँ तो मर जाएँगी
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