लफ़्ज़ होटों से न फि़सल जाये
बात करने में ज़बाँ जल जाये
बात करने में ज़बाँ जल जाये
रास्ते पर जो लोग चलते हैं
ठोकरों से वही सम्भलते हैं
ठोकरों से वही सम्भलते हैं
कुछ मिले लोग सितमगर की तरह
फूल की शक्ल में खंजर की तरह
फूल की शक्ल में खंजर की तरह
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