Saturday 20 December 2014



लफ़्ज़ होटों से न फि़सल जाये
बात करने में ज़बाँ जल जाये


रास्ते पर जो लोग चलते हैं
ठोकरों से वही सम्भलते हैं


कुछ मिले लोग सितमगर की तरह
फूल की शक्ल में खंजर की तरह



कुछ मिले लोग सितमगर की तरह
फूल की शक्ल में खंजर की तरह

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