Thursday 1 August 2013

मेरे किताब का एक पन्ना 
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जिंदगी की हसीन गलियों 
किस्सा तमाम हो गया 
कुछ खो गया कुछ लुट गया 
कारवां बर्बाद हो गया
जिंदगी की गलियों। ………….  
कुछ तुम चले थे साथ में 
कुछ हम चले थे ख्वाब में 
राहें अधूरी रह गयीं 
मजिल अधूरा रह गया 
जिंदगी की गलियों में   
किस्सा तमाम हो गया। ………। 
वफाओं की मायूसियां 
तल्ख नज़रों की सगोशियाँ 
अनबुझ पहेली बन गयी 
जिंदगी की हसीं गलियों में 
किस्सा तमाम हो गया। ………… 
----------------कमला सिंह जीनत 

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