Monday 27 May 2013

आज लोगों  ने मसरूफ रखा अपनी यादों में 
कभी तनहा हुआ करते थे हम खुद की बातों में 
आज समां है महफ़िलों का चारों तरफ घेरे मुझको 
दिल फिर भी ढूंढता जिंदगी की बिछड़ी रातों में उनको।

क्या शमा था, क्या मंज़र था उन यादों का मेरे 
भटका करती थी कभी प्यार के साये में तेरे
यादें  प्यारी थी मुझे,अपने दिल सेकुछ इतनी 
गवारा ना था बिछड़ना जिंदगी को साँसों से जितनी।

चलकर आ गए हम महफिलों के दौर में अब तो 
परन्तु याद आज भी आता है अतीत मुझको मेरा 
सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा 
शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा ..... .
---------कमला सिंह ------- 

3 comments:

  1. सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा
    शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
    ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा .....

    waah ! bahoot achchhi abhivyakti hai... badhai
    - pankaj trivedi

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया पंकज जी

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  3. चलकर आ गए हम महफिलों के दौर में अब तो
    परन्तु याद आज भी आता है अतीत मुझको मेरा
    सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा
    शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
    ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा ..... .

    वाह क्या लिखा है !!

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