Saturday 4 May 2013

मासूम बचपन...

मासूम सा दिखता है बचपन
भोला सा दिखता है उनका मन। 

कोई भेद नहीं कोई भाव नहीं 
दिखता है सिर्फ अपनापन। 

जिसकी देखि मीठी बोली 
फिर तो क्या वो उनकी हो-ली। 

ना हिन्दू ना सिख इसाई 
आपस में सब भाई भाई । 

गलियों नुक्कड़ और चौराहे 
ये सारे है उनके अड्डे। 

उनका जज्बा उनकी बोली 
शैतानों की मस्ती टोली। 

चिंता मुक्त सब घूमना फिरना 
भूल जाना फिर पढ़ना -पढाना।

ये है बचपन ये है बचपन ...
.....कमला सिंह ....

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