Monday, 5 May 2014


मरे डरे से सिसकते से बाम दर के चराग़
हमारे होते तो हम फूंक कर बुझा देते
------कमला सिंह 'ज़ीनत'

Mare dare se sisakte se baam dar ke charaag hamaare hote to ham fuunk kar bujha dete ----kamla singh 'zeenat'




हाथों को फैलाए हुए मैं तेरे दर पे आई हूँ 
फूलों का गुलदस्ता यारब साथ में अपने लायी हूँ
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'

Haathon ko failaaye huwe main tere dar pe aayi hun phulon ka guldasta yarab saath me apne laayi hun
----------kamla singh 'zeenat'

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