मरे डरे से सिसकते से बाम दर के चराग़
हमारे होते तो हम फूंक कर बुझा देते
------कमला सिंह 'ज़ीनत'
Mare dare se sisakte se baam dar ke charaag
hamaare hote to ham fuunk kar bujha dete
----kamla singh 'zeenat'
हाथों को फैलाए हुए मैं तेरे दर पे आई हूँ
फूलों का गुलदस्ता यारब साथ में अपने लायी हूँ
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'
Haathon ko failaaye huwe main tere dar pe aayi hun
phulon ka guldasta yarab saath me apne laayi hun
----------kamla singh 'zeenat'
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