Thursday, 4 July 2013

जानेमन

कभी अपना  सा लगता है 
कभी बेगाना सा लगता है  
जाने क्या खास है उसमे 'जीनत'
बड़ा दीवाना सा लगता है  ।

कभी सीने से लगा लेता है 
कभी बाँहों से झटक देता है 
शरारत या उसकी अदायगी समझूँ  
फिर भी बड़ा ही प्यारा लगता है।

बातों में बड़ी कशिश है उसकी, 
दिल की जागीर का मालिक भी है 
पर जब होता है खफा मुझसे 
बड़ा अटपटा सा लगता है  

आता है जब प्यार मुझ पर 
दिल खोल कर बरस जाता है 
मीठी-मीठी बातों से अपने 
मुझको लुभा लेता है ।

कभी बेगाना सा लगता है  
कभी अपना सा लगता है 
जाने क्या खास है उसमे 
बड़ा दीवाना सा लगता है ।
-------------------कमला सिंह 'जीनत '

1 comment: