मेरी ग़ज़ल मेरी बुक 'शादमानी के फूल से'
----------------------------------------------
ऐ ख़ुदा बोल ,मेरी आँख में पानी क्यूँ है
खूबसूरत तेरी दुनियाँ है तो फ़ानी क्यूँ है
क्यूँ सवालों के जवाबात न हो तो भी सही
उसकी हर बात में हर बात का मानी क्यूँ है
मेरे दिल में भी एक सैलाब गुज़र जाता है
सिर्फ़ दरिया में बज़ाहिर ये रवानी क्यूँ है
रेत की ढेर सी ढह जायेंगी सब दीवारें
वक़्त बतलाये तो जानूँ की जवानी क्यूँ है
चाँद पे दुःख लिए होता नहीं कोई गरीब
फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है
बोल 'ज़ीनत' ये हैं दुनियाँ सभी रंग बेनूर
ऐसी सूरत है तो ये दुनियाँ रूमानी क्यूँ है
----- कमला सिंह 'ज़ीनत'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 21जून 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteshukriya pammi ji
Deleteशुभ प्रभात....
ReplyDeleteवाह....
सादर
shukriya yashoda ji
Deleteवाह। बहुत खूब। सुंदर रचना।
ReplyDeleteshukriya Ravindra ji
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गजल...
ReplyDeleteचाँद पे दुःख लिए होता नहीं कोई गरीब
फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है
shukriya sudha ji
Deleteबहुत सुन्दर गजल....
ReplyDeleteचाँद पे दुःख लिए होता नहीं कोई गरीब
फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है
लाजवाब....
Shukriya
Deleteलाजवाब ग़ज़ल ।
ReplyDeleteShukriya Rahesh ji
Delete