Saturday 30 November 2013

जब खुदा हमसे प्यार करता है 
आसमान से भी उतरता है 
राज़ ये बस उसी को है मालूम 
कौन जीता और कौन मरता है
--------कमला सिंह ज़ीनत 
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आरज़ू बहुत थी तुझे पाने की  
चाहत भी थी दिल लगाने की  
नसीब में क्या है ये जानू न 
ख्वाहिश है तुझपे जां लुटाने की 
------कमला सिंह ज़ीनत 

aarazu bahut thi tujhko pane ki
chahat bhi thi dil lagane ki 
naseeb me kya hai ye jaanu na 
khwahish hai tujhpe jaan lutaane ki
-----------kamla singh zeenat 

Wednesday 27 November 2013

चाँद पे लेके चलना मुझको, या फिर दूर सितारों पर 
बर्फ की वादी में मिल लेना या मिलना अंगारों पर 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 
Chand pe le ke chalna mujhko,ya phir duur sitaron par
Barf ki wadi me mil lena,zeenat ya milna angaron par.
Kamla singh zeenat.

ले जाए जिसको चाहिए सीने में पाल कर 
उस बे-वफ़ा को रख दिया दिल से निकाल कर 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 
Le jaaye jisko chahiye seene mein paal kar
Us be-wafa ko rakh diya dil se nikaal kar
-----Kamla singh zeenat.

Monday 25 November 2013

सात   फेरों का  बंधन 
सात जन्मों का वचन 
माथे पे  लाली   वरन 
होठों पे हल्की स्पंदन 

कसमें वादों का चलन 
परम्पराओं का  वहन 
मर्यादाओं का  स्वप्न 
आत्माओं का मिलन 

यही     है    गठबंधन 
यही     है    गठबंधन 
**कमला सिंह ज़ीनत 

Saturday 23 November 2013

मेरे जानिब से जब सवाल हुआ 
वो भी गुस्से से लाल-लाल हुआ 
जुल्फ लहरा दिया हवाओं में 
होश खो बैठा वो निढाल हुआ 
*********कमला सिंह ज़ीनत
आओ या ना आओ ग़म नहीं ज़ीनत मुझको 
यादों में मुझको संजोये रखना ख्वाबों की तरह 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

aao ya na aao gam nahi zeenat mujhko 
yadon me mujhko sanjoye rakhna khwabon ki tarah 
-----------------------kamla singh zeenat 


टेढ़ी मेढ़ी गलियों से गुजरता था काफिला उसका ज़ीनत 
हरेक गलियों में चिराग उम्मीदों का जलाया मैंने 
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 

tedhi medhi galiyon se gujrtaa tha kafila uska aji zeenat 
harek galiyon mein chirag umidon ka jalaya maine 
---------------------------kamla singh zeenat 

Friday 22 November 2013

तेरी ममता को सलाम मेरा 
है ज़िंदगी को पयाम मेरा 
तेरे सजदे में सर मेरा झुक गया 
दोस्ती है तेरी ,अभिमान मेरा  
 ----------कमला सिंह ज़ीनत 
ज़िंदगी से खुद को रुबरु होने में एक वक़्त सा लगा 
वाकिफ होने में उसको ज़ीनत ज़िंदगी निकल गयी  
***************कमला सिंह ज़ीनत 
zindgi se khud ko rubru hone mein ek waqt sa laga 
wakif hone me usko zeenad zindgi nikal gayi 
*****************kamla singh zeenat 

ग़मों कि कब्र पर रोने से क्या फायदा भला
ग़मों के बोझ को ढोने से क्या फायदा भला  
यादों के शमशान से ज़िंदगी बेहतर है मेरी
दिलों  को दोष  देने से  क्या  फायदा  भला  
-------------कमला सिंह ज़ीनत 
***********************************
इंतज़ार कि दौलत दिया है प्यार से उसने 
दिल लगाकर ,दिल से ही मार दिया उसने 
कभी हसाता है कभी रुलाता है वो ज़ीनत को 
दिल को ही दिल का बीमार किया उसने 
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

वक़्त के हाथों में नसीब है तक़दीर का अजी ज़ीनत 
खरीदी न और न बिकती है ,ये तो खुदा से मिलती है
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 
waqt ke haathon mein naseeb hai taqdeer ka aji zeenat 
kharina aur na bikti hai ,ye to khudaa se milti ha hain 
-----------------------kamla singh zeenat

Aik.................sher
....................................
Bahut pakiza hai wo naam jisko chaahti hun main
Wazuu se hoke uska naam leti hun saliqe se.

.......................zeenat.

Aik........................sher
........................................
Itna batana kaafi hai mahfil ko mere dost
Main jisko chaahti hun wo mahfil ka noor hai.

.......................zeenat.


Aik..........sher
........................
Aik dewana hai sahra se abhi lauta hai
Chaand taaron ke safar jaisa hai aanaa uska

Kamla singh zeenat.


Tuesday 19 November 2013

इंतिशार हुआ चाहत में आशियाना ज़ीनत का  
तिनका-तिनका जोड़ कर बना था घरौंदा वो मेरा 
-------------------कमला सिंह ज़ीनत 
 इंतिशार --तितर-बितर 

intishar huaa chaht mein aashiyaana zeenat ka 
tinka-tinka jod kar bana tha gharaunda wo mera 
------------------------kamla singh zeenat

तारिज़ था ज़माने को उन्सियत की हद देख ज़ीनत के वास्ते  
खुदारा खैर करे पाकीज़गी से भरे बांवलेपन को उसकी। 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 
तारिज़ ----आपत्ति उन्सियत --चाहत 

taariz tha zamane ko unsiyat ki had dekh zeenat ke waste 
khudara khair kare pakizgi se bhare bawalepan ko uski  
-------------------kamla singh zeenat 

Monday 18 November 2013

ज़िंदगी को बना डाला मुहब्बत का वो महकमा 
ज़ीनत थी जहां मुजरिम और वो था  मुदई 
>>>>>>>>>>>>>कमला सिंह ज़ीनत 

एक शेर >>>>>>>>>
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
तमन्नाओं के भीड़ में चाहत मैं भी थी उसकी 
खुदारा मैं जो मिल गयी ,बांवला हो गया है वो 
---------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

tamnnaon ki bheed mein chaahat main bhi thi uski 
khudaara main jo mil gayi ,baaawla ho gaya hai wo 
-----------------------kamla singh zeenat 


Usko talaashne me mere saath ye huwa Bande ki justaju mein khuda mil gaya mujhe Kamla singh zeenat*

Sunday 17 November 2013

khamoshiyon me gujar raha waqt hai ya andesha kisi samwad ka 
parchhayiyan bhi tanha hain zeenat aaj,ya bebsi halat ka ....
-------------------kamla singh zeenat

Saturday 16 November 2013

सलासिल थी उल्फत उसकी वफ़ा-ए-ज़िंदगी में ज़ीनत 
जुदा होकर भी तखैयुल में अपने जकड़ रखा है मुझको 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

salasil thi ulfat uski wafa-aye-zindgi me zeenat 
juda hokar bhi takhaiyul men apne jakad rakhaa hai mujhko 
--------------------------------kamla singh zeenat 
पोशीदा हर चीज़ ज़माने से रखी थी उन्सियत कि ऐ मालिक 
नज़रों से उनकी हर बात अयाँ हो गयी किस तरह सामने सबके 
--------------------------कमला सिंह ज़ीनत  
ठिठुरी हुई सी बाहें है 
सहमी हुई सी आहें हैं 
कंपकपाती ठंड में ज़ीनत 
मरघट सी फैली राहें हैं 
--------कमला सिंह ज़ीनत 

ठिठुरती हड्डियाँ हैं और सर्द रात
कांपती बोलियां हैं और सर्द रात
आग के इर्द गिर्द सिमटी सी 
बच्चों कि टोलियाँ हैं और सर्द रात 
---------------कमला सिंह ज़ीनत 

Thithurti haddiyaan hain aur sard raat
Kaanpti boliyaan hain aur sard raat
Aag ke erd gird simti si
Bachchon ki toliyaan hain aur sard raat
-----------------kamla singh zeenat

Friday 15 November 2013

------------नज़्म------------
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आधी रात को नींद खुल गयी मेरी 
करीब १ बजे रहे थे रात के 
लगा मानो  तुमने मुझे फिर से पुकारा है 
मानस पटल पर चल-चित्र की भांति 
तुम्हारी बातें एक-एक करके घूमने लगी 
हमेशा कहते हो न कि 
मैं तुम्हारे पास हूँ 
महसूसती भी हूँ तुमको 
   लेकिन 
मैं बहुत मायूस हो गयी 
जानते हो क्यूँ ?
मैंने जब हाथ बढ़ाया 
छूना चाहा तुमको 
तुम्हारे अक्स को 
लेकिन वो सिर्फ हवाओं में लहराकर रह गए 
हक़ीक़त की दुनिया से दूर 
कहीं परे है ये ख्वाबों कि दुनिया 
रूहों कि दुनिया में भटकती हूँ मैं 
शायद वहीँ मिलते है दोनों 
आँखें नम हो गयीं मेरी 
जब तुम नहीं मिले 
तुम हमेशा साँसों में हो मेरे 
धड़कन में हो 
वजूद में हो 
परन्तु इस  …
इस हक़ीक़त कि दुनिया से दूर 
रूहों कि दुनियां में 
जहाँ सिर्फ आत्माओं का मिलन होता है 
चलो कोई बात नहीं 
गिला भी नहीं मुझे 
ये एहसास भी काफी है मेरे लिए 
जल्दी ही मिलूंगी तुमसे 
ख्वाब में नहीं 
हक़ीक़त में 
उसी रूहों कि दुनियां में 
जहा सपने सच होंगे 
मेरी उंगलियां तुम्हे महसूस कर पाएंगी 
हमारी मंज़िल भी वही है 
इस धरती पर नहीं 
एक खूबसूरत सी दुनिया 
जहाँ हसरतें पूरी होंगी 
इंतज़ार ख़त्म होगा 
इंतज़ार करुँगी मैं वहाँ ....... 
आना पास मेरे
या तुम करना इंतज़ार मेरा 
मैं आउंगी तुम्हारे पास 
जल्दी  …… 
बहुत जल्दी  …… 
अलविदा 
अलविदा 
---कमला सिंह ज़ीनत 

मरहूम है अब तक काँटों कि चुभन से कली गुलाब की
ढूंढती है ज़ीनत भी उस चुभन को नोक-ए -खार अब तक
-------------------कमला सिंह ज़ीनत

Mahruum hai ab tak kaaton ki chubhan se kali gulaab ki Dhuundti hai zeenat bhi us chubhan ko nok e khaar ab tak
------------------------kamla singh zeenat
इश्क़ का रंग है ऐसा खुद में समेट लेती है  ज़िंदगी को 
या खुद में रंगती है ज़ीनत या खुद ही मिटा देती है खुद को 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

दर्द के बोझ को साथ लिए फिरती हूँ इश्क़ में कांधे पर 
गूंगा है शायद इश्क़ भी बेमौत सजा देता है ज़ीनत वो 
-----------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

dard ke bojh ko sath liye firti hun ishq mein kaandhe par 
gungaa hai shayad ishq bhi bemaut saja deta hai zeenat wo 
-------------------------------------------kamla singh zeenat 

Tuesday 12 November 2013

क़तरा क़तरा साँसों का दे कर ज़िंदा रखा उसे ज़ीनत ने  
बारी जब आयी उसकी साँसें ही छीन ली मेरी 
----------------कमला सिंह ज़ीनत 
साँसों के खेल में हारा  कौन 
दौड़ में साँसों के जीता कौन
आया जो भी जायेगा ज़ीनत
क्या खोया क्या पाया कौन 
-----------कमला सिंह ज़ीनत 
sanson ke khel mein haara kaun
daud mein saanson ke jeeta kaun
aayega jo bhi jayega zeenat 
kya khoya kya paayaa kaun 
----------------kamla singh zeenat   
एक ख्वाब है तमन्ना पाने की, 
एक राह है तमन्ना जाने की, 
एक आह है तमन्ना ना मिल पाने की, 
एक सैलाब है तमन्ना डूब जाने की।
----------कमला सिंह ज़ीनत

ek khwab hai tamnna paane ki
ek raah hai tamnna jane ki
ek aah hai tamnna na mil pane ki
ek sailaab hai tamnna dub jaane ki
-----------kamla singh zeenat

Monday 11 November 2013

दिल में कुछ तूफ़ान है 
लूट गया सा मकान है 
है सल्तनत उदासी की ज़ीनत 
ज़िंदगी भी देख हैरान है 
-----कमला सिंह ज़ीनत 

dil mein kuch tufaan hai 
lut gaya sa makaan hai 
hai saltnat udasi ki zeenat 
zindgi bhi dekh hairaan hai 
----kamla singh zeenat  

Thursday 7 November 2013

Naseeb kya hai mera ye janti nahi
Shayad zindgi mujhe pahchanti nahi
..----------Kamla Singh Zeenat
Waqt ne diya har lamhan khushiyon se bhara
Ek gam zindgi ka mila to kya hua
--------------Kamla Singh Zeenat
चलूँ अब इस महफ़िल से वक़्त हो गया  
पाने-खोने का  दौर भी  ख़त्म हो गया
मिलना था जो नसीब में ज़ीनत को
मिल गया ज़िंदगी में बाकि ज़ब्त हो गया 
-----------------कमला सिंह ज़ीनत 
  
काट दिए पंख दिल के उड़ान को 
कट गए जुबां भी उस बेजुबान को 
एहसास ही तो था फ़क़त पास ज़ीनत के  
मार  दिया हसरत-ए-अरमान को 
-----------------कमला सिंह ज़ीनत 

उड़ा ले चला आसमान में 
सुकून भरी ज़िंदगी जहान में 
खुशियाँ हों बरसती जहाँ ज़ीनत 
प्यार से भरे दिल के मकान में
-----------------कमला सिंह ज़ीनत  

Wednesday 6 November 2013

ज़ब्त कर साँसों को मुट्ठी में ज़ीनत के उसने 
रफ्ता रफ्ता  क़ैद कर लिया रूह को भी 
--------------------कमला सिंह ज़ीनत 
zabt kar saanson ko mutthi mein zeenat ke usne 
rafta rafta qaid kar liya ruh ko bhi 
-------------kamla singh zeenat 


हैराँ हूँ ख्याल जानकर हमनवाजों के ज़ीनत 
संगदिली ही हावी है शक्शियत पे उनके भी 
-------------------कमला सिंह ज़ीनत 

hairaa"n hun khyaal jaankar hamnawajon ke zeenat 
sangdili hi haawi hai hai shashiyat pe unke bhi 
--------------------kamla singh zeenat 

Tuesday 5 November 2013

-----------------ग़ज़ल------------
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उससे दिन रात मैं दिन रात लड़ी जाती हूँ 
मुस्कुराते हुए चेहरे पे मरी जाती हूँ 

कितना दिलकश है वो रंगीन नज़ारे जैसा 
बावली होके उसी ओर बढ़ी जाती हूँ 

वो किसी उम्दा सा अशआर मेरा लगता है 
जा-ब -जा उसको ही हर बार पढ़ी जाती हूँ 

दिल में उस शख्स के इक बार उतरना मेरा
दलदली प्यार कि मिट्टी में गड़ी जाती हूँ

याद को उसकी नगीने कि तरह हर लम्हां
अपने एहसास के कंगन में जड़ी जाती हूँ

खो न दे उसको कहीं राह में ज़ीनत इक दिन
बस इसी बात से हर रोज़ डरी जाती हूँ
----------------------कमला सिंह ज़ीनत
अल्फ़ाज़ों से बयाँ  होती नहीं जो बातें कर जाती हैं आँखे बयाँ 
कहूँ क्या या ना कहूँ ज़ीनत उनके दिल कि दास्ताँ 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

चलता है हर वक़्त ख्यालों में परछाई कि मानिंद वो ज़ीनत 
चाह कर भी रिहाई नहीं मिलती उसके ख्वाबों-ख्यालों से 
----------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

बयां करता है मुझसे जब हाल-ए -दिल अपना अजी ज़ीनत 
किसी और से फुर्सत न हो उसको तो बुरा लगता है
------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

Monday 4 November 2013

बेखौफ मेरे गेसुओं से खेलते हैं ख्य़ाल मेरे 
ऐ ज़ीनत पनाह तेरा उसे भी पसंद है शायद 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

लिखता है लहू से खतूत-ऐ-इश्क़ ज़ीनत तुझको 
मज़मून समझाने का हुनर भी उसे आता है 

इस कदर जुनूँ सवार है ग़ज़ल-ऐ-शायरी मुझ पर 
ऐ वक़्त ठहर उन लम्हों में डूब जाने दे मुझे 
-----------कमला सिंह ज़ीनत 

Sunday 3 November 2013

उलझा रहता है धागों में गिरह कि मानिंद ज़िंदगी में सबके 
'ज़ीनत'  क्या करूँ सुलझने कि बजाये और भी उलझ जाता है वो 
---------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

बम के बारूद के मानिंद आग है उसमें अजी ज़ीनत 
जो आता है पास उसके जल जाता है 
--------------कमला सिंह ज़ीनत 

खामोशियाँ सिसकती ज़ीनत की शबे फुरकत में 
तन्हाईयों को भी अब मुझसे गिला है मेरे मौला 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत  

किस्से उसके इश्क़ के बड़े सुने थे ज़ीनत ने 
रंगीन है दिल का शायद वह ज़ालिम 
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

दीवानगी की बात हर वक़्त करता है मुझसे 
जाने कैसा ये सिरफिरा आशिक है बेचारा 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

Saturday 2 November 2013

तू जानता क्यूँ नहीं ,तू मानता क्यूँ नहीं 
परछाई है ज़ीनत तेरी महसूसता क्यूँ नहीं 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

इश्क़ तू बेहिसाब करता है जान भी बेहिसाब देता है 
है क्या कमी की तू इश्क़ इश्क़ करता है 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत 


बांवला भी है और थोड़ा पागल भी शायद वो ज़ीनत 
ज़िद में भूल जाता है रिश्ते कि तल्ख़ियाँ भी 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

ज़िंदगी हिस्ट्री ही नहीं मिस्ट्री भी है उसकी अजी  ज़ीनत 
नजदीकियाँ बढ़ते ही गहराईयों में उतर जाती है ज़िंदगी 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत  

Friday 1 November 2013

रौशन है चिराग़ दिल का ज़ीनत का नाम से उसके 
सलामत रहे वो चिराग़ सदा मौला मेरे 
--------------कमला सिंह ज़ीनत