एक ग़ज़ल देखें
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खूबसूरत कोई रिश्ता रखिये
कुछ तो इंसानियत ज़िंदा रखिये
वक़्त के साथ सब फ़ना होंगे
खुद को जैसे भी हो लिखता रखिये
लोग आयेंगे कई कल के साथ
मख़मली खुशनुमा रिश्ता रखिये
रूह निकलेगी कब किसे मालूम
हो सके कारवाँ चलता रखिये
महफ़िलों में सुख़नवरों के साथ
आप भी खुद को दिखता रखिये
शोख़ कलियों में आप भी 'ज़ीनत'
ज़िंदगी भर यूँ ही महका रखिये
----कमला सिंह 'ज़ीनत'