Wednesday, 21 May 2014

------ग़ज़ल -----
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जब भी आगाज़ ये परवाज़ किया जायेगा 
आसमानों में मुझे याद किया जाएगा 

क़ैद ए बुलबुल पे जो गुज़री है बताने के लिए 
कुछ क़फ़स वालों को सय्याद किया जाएगा 

ज़ुल्म वालों से ना डरना कभी मज़लूमों तुम 
है खुदा फ़रियाद किया जाएगा 

क़त्ल करता है जो जाकर उस से कह दो 
वक़्त आएगा तो बर्बाद किया जाएगा 

उजड़े उजड़े से चमन चुप रहो आहें न भरो 
वक़्त की बात है आबाद किया जाएगा 

शेर महफ़िल में यूँ 'ज़ीनत' तो सुनाती भी नहीं 
ज़ौक़ वाले हों तो इरशाद किया जाएगा 
--------कमला सिंह 'ज़ीनत'

--------GhAzaL-------

Jab bhi aagaaz ye parwaaz kiya jayega
aasmaano me mujhe yaad kiya jayega

Qaid e bulbul pe jo guzri hai bataane ke liye
kuchch qafas waalon ko sayyaad kiya jayega

zulm waalon se na darna kabhi mazluumon tum
hai khuda koi to faryaad kiya jayega

qatl karta hai jo jakar zara us se kah do
waqt aayega to bardaad kiya jayega

ujde ujde se chaman chup raho aahen na bharo
waqt ki baat hai aabaad kiya jayega

sher mehfil me yun "zeenat" to sunaati bhi nahi
zauq wale hon to irshaad kiya jayega

Kamla Singh "zeenat"

10 comments:

  1. वाह! बहुत बढ़िया..

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  2. इरशाद । बहुत पसंद आई आपकी गज़ल।

    उजड़े उजड़े से चमन चुप रहो आहें न भरो
    वक़्त की बात है आबाद किया जाएगा

    क्या बात है।

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