Wednesday 7 June 2017

मेरी ग़ज़ल मेरी बुक 'शादमानी के फूल से'
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ऐ  ख़ुदा  बोल ,मेरी आँख में  पानी  क्यूँ है 
खूबसूरत  तेरी  दुनियाँ  है तो फ़ानी क्यूँ है 

क्यूँ  सवालों के जवाबात न हो तो  भी सही 
उसकी हर बात में हर बात का मानी क्यूँ है 

मेरे दिल में  भी एक सैलाब गुज़र जाता है 
सिर्फ़  दरिया  में बज़ाहिर ये रवानी क्यूँ है 

रेत  की  ढेर  सी  ढह  जायेंगी  सब दीवारें 
वक़्त बतलाये तो जानूँ की जवानी  क्यूँ है 

चाँद  पे दुःख लिए  होता  नहीं  कोई गरीब 
फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है 

बोल 'ज़ीनत'  ये हैं दुनियाँ सभी रंग बेनूर 
ऐसी  सूरत है तो ये दुनियाँ  रूमानी क्यूँ है 
----- कमला सिंह 'ज़ीनत'

13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 21जून 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. शुभ प्रभात....
    वाह....
    सादर

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  3. वाह। बहुत खूब। सुंदर रचना।

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  5. बहुत ही सुन्दर गजल...
    चाँद पे दुःख लिए होता नहीं कोई गरीब
    फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है

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  6. बहुत सुन्दर गजल....
    चाँद पे दुःख लिए होता नहीं कोई गरीब
    फिर ये दुनियाँ में कहो ऐसी कहानी क्यूँ है
    लाजवाब....

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  7. लाजवाब ग़ज़ल ।

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