Friday, 31 May 2013

क़त्ल करता है इंसान अपनी ज़मीर का 
चंद  सिक्कों के खातिर ही ,
कातिल भी बन जाता है अपने ईमान का 
पापी पेट के खातिर भी।
---------कमला सिंह 

कातिल

कातिल थी अदाए उसकी 
जवानी का जोर था ,
चलाया जो तीर उसने मुझपर 
ना हलचल न शोर था।
बन बैठी मैं भी कातिल अपना 
उसकी दिल्लगी का सुरूर था, 
कैद मिली खुद के माजी के हाथों  
ये मेरे दिल का कसूर था।।
---------कमला सिंह ---

Thursday, 30 May 2013

दिल को हरे बैठें है इस इंतजार में 
आएगा वो कभी दिल के बाज़ार में 

खरीदने आये शायद यादों का गुलदस्ता, 
चढ़ाने  की खातिर दिल के मजार में।।
----------कमला सिंह ------

Monday, 27 May 2013

तालों में बंद है सुकूं की चाभियाँ 
जिंदगी की कमाई भी है मेरी .
चाहिए  अगर ये तिजोरी तुझे भी,
मांग ले संतोष जिंदगी से भी।।
---------कमला सिंह -----
आज लोगों  ने मसरूफ रखा अपनी यादों में 
कभी तनहा हुआ करते थे हम खुद की बातों में 
आज समां है महफ़िलों का चारों तरफ घेरे मुझको 
दिल फिर भी ढूंढता जिंदगी की बिछड़ी रातों में उनको।

क्या शमा था, क्या मंज़र था उन यादों का मेरे 
भटका करती थी कभी प्यार के साये में तेरे
यादें  प्यारी थी मुझे,अपने दिल सेकुछ इतनी 
गवारा ना था बिछड़ना जिंदगी को साँसों से जितनी।

चलकर आ गए हम महफिलों के दौर में अब तो 
परन्तु याद आज भी आता है अतीत मुझको मेरा 
सब कुछ तो है जिंदगी में एक उन प्यारे यादो के सिवा 
शामों सहर याद आता है भीड़ में भी मेरे दिल के
ज़ज्बातो के और चाहत के सिवा ..... .
---------कमला सिंह ------- 

Sunday, 26 May 2013

भूखे पेट को गरीबी खाती है 
गरीबी को मज़बूरी खाती है 
मज़बूरी को ज़मीर खाता है 
और ज़मीर को बेईमान खाते हैं।
-------कमला सिंह -------

Saturday, 25 May 2013

हमेशा खुश रहो दोस्तों ,
दुआ है मेरी दिल से ,
भरोसा क्या जिंदगी का ,
चली जाऊं कब महफ़िल से।
------कमला सिंह ---
मैंने आज जिंदगी को फटेहाल देखा,
तरसती जान को हाल से बेहाल देखा ,
शर्म आई मुझे भी अपने इंसान होने पे,
क्या कहु जिंदगी खुद को खुद से शर्मसार देखा।

-------कमला सिंह ----

Thursday, 23 May 2013

बेवफाई का इल्जाम लगा गया वो
 खुद अपने हाथों अर्फसुदा  बना गया वो 

पल पल करती रही इंतज़ार जिसका,  
छन में आशियाना जला गया वो। 

हसरतों की राह में बनाया मंजिल जिसको, 
पल में ठोकर लगा गया वो। 

समझती रही आजतक हमदर्द जिसको, 
पल में बेगाना बना गया वो। 

सारे इलज़ाम लगाकर मुझको, 
बेवफ़ा का नाम भी दे गया वो।।
......कमला सिंह ...

Tuesday, 14 May 2013

तुम्हारे ख्यालो की दुनिया में बसेरा है मेरा 
तुझे हर वक़्त इंतजार भी रहता है मेरा .

क्यूँ ढूंढता है गली गली ,शहर शहर ,
वीराने में अक्सर ठिकाना है मेरा।

मत भूल ये भूल -भुलैया है इश्क की 
मिलेगा न कोई राह मंजिल को तेरी।

आराम से बैठ आशियाने में अपने 
जहाँ खुशियों का खज़ाना है तेरा ।।
............कमला सिंह .............

Wednesday, 8 May 2013

इनकार है मुझे तेरे प्यार से 
तू फिर क्यू इकरार करता है 
नहीं हूँ मैं जिंदगी  तेरी 
फिर भी तू क्यू मुझ से प्यार करता है।। 

कह दिया इक बार मैंने 
फिर भी तू बेक़रार रहता है 
हूँ किसी और की अमानत 
फिर क्यों हसरते सौ बार करता है।। 

इनकार है मुझे तेरे प्यार से 
तू फिर क्यू इकरार करता है।।
........कमला सिंह ........ 
चीथड़े जिस्म के कपडे पर,
पेबंद लगाते है जख्मो के
धागा होता है हसरतो का
सिलते है उल्फत के रस्मों  से ।।
.......कमला सिंह .....

Monday, 6 May 2013

बेवफ़ाई...

बहुत खुश हो रहे हो अपनी बेवफ़ाई पे 
हँसी आती है तुम्हें मेरी दर्द भरी कहानी पे। 

कितनी जल्दी भूल गए वो वक्त 
खाई थी तरस जब मैंने तेरी जवानी पे। 

मत भूलो दिल कोई दुकान नहीं होता 
हर जगह मिल जाए वो सामान नही होता। 

जब जब दुनिया तुम्हे सताएगी 
तुम्हे मेरी बहुत याद आएगी।
खा- खा खाकर ठोकरे ज़माने की 
अपनी हालत पे खुद आसू बहाओगे। 

कही भी तुम्हे कोई सहारा ना मिलेगा  
फिर तुम लौट के मेरे पास ही आओगे। 

आखो में जिंदगी की चमक लिए  
वफ़ा की राह  पे मुझ को ही पाओगे। 

घबराओगे, शरमाओगे मेरे पास आने से 
मुझे कोई शिकायत नहीं होगी,तेरे फ़साने से ....
........कमला सिंह ......

Sunday, 5 May 2013

अर्फ़्सुदा प्यार

जज़्बात से तुम ना खेलते अगर
तेरे प्यार में मजबूर न होती इस कदर
जिंदगी की चाहत से मरहूम कर दिया तूने,
खो गयी जिंदगी हसरत में इस कदर।


तरन्नुम गूंजते है आज भी विरानो में,
अर्फ़्सुदा हूँ आज भी तेरे ख़्यालों में
जाने क्या होगा अंजाम मेरा 
जिंदगी डूब गयी प्यार के मैखाने में।। 

हसरतो से खेलना फितरत है तेरी
उम्मीदों को जगा कर तोड़ना आदत है तेरी
जिंदगी में शामिल करके निकालना भी 
दिल की ख्वाहिश है तेरी ...

बर्बाद कर लिया मैंने खुद को इंतजार में 
तू इतना है;'ज़ालिम और हरजाई',
तुझे जरा भी शर्म न आई,
मिट गयी मैं तेरे लिए,
 पर तुझे याद न आई।।।।।
.............कमला सिंह.....  

Saturday, 4 May 2013

...ख़्वाब

सुभो-शाम करना याद आदत है मेरी
कैसे भूल जाऊ दिल से चाहत ये तेरी।। 


ढेरों ख्वाब बुनती हूँ ख्यालों में ऐसे, 
सोचती हूँ निकलू तेरे जालों से कैसे।।

वक़्त का पता लगता नहीं मुझे,
उलझी रह जाती हूँ सवालों में ऐसे।।  

घिरती जा रही है जिंदगी उलझनों में ऐसे 
अपने ही बनाये सवाल और जबाबों में जैसे।।
..............कमला सिंह ......... 

जुस्तज़ू

तेरे दीदार के लिए हम भटके दर-बदर
तू मेरी जिंदगी से खो गया इस कदर, 


चलते चले गए,कश्मीर की वादियों तक 
पर तू ना  नज़र आया बेखबर।।

तेरी आरजू में धुंधला सी गयी है नज़रे मेरी
काश तुझे भी मिलने की जुस्तज़ू हो अगर, 

आ जाना कभी मेरी इस वीरान हवेली में 
जहाँ  बसा करते थे तुम शामो-सहर।।।
..........कमला सिंह ........

मासूम बचपन...

मासूम सा दिखता है बचपन
भोला सा दिखता है उनका मन। 

कोई भेद नहीं कोई भाव नहीं 
दिखता है सिर्फ अपनापन। 

जिसकी देखि मीठी बोली 
फिर तो क्या वो उनकी हो-ली। 

ना हिन्दू ना सिख इसाई 
आपस में सब भाई भाई । 

गलियों नुक्कड़ और चौराहे 
ये सारे है उनके अड्डे। 

उनका जज्बा उनकी बोली 
शैतानों की मस्ती टोली। 

चिंता मुक्त सब घूमना फिरना 
भूल जाना फिर पढ़ना -पढाना।

ये है बचपन ये है बचपन ...
.....कमला सिंह ....

जिंदगी...

आज जिंदगी से मुलाकात हो गई
बातो ही बातो में दिल की बात हो गयी। 


दिल चाहता है, चूम लू उसे जाकर
इन बंद पलकों से आकर। 
समा जाऊ बाहों में उसके जाकर  
बिखर जाऊ मै बस लहराकर। 

चाहता तो वो भी है,पर बताता नहीं 
सुनता है पर सुनाता नहीं,
रूठता है पर मनाता नहीं, 
आदत है ऐसी पर बोलता नहीं।

प्यार करता है है पर जताता नहीं 
बड़ा मासूम दिलवर है मेरा ये 
जानता नहीं .....
आज ज़िंदगी से मुलाकात हो गयी, 
बातो ही बातो में दिल की बात हो गई।  
......कमला सिंह .......

Friday, 3 May 2013

प्यार का दर्द..

   वापस आये हो
फिर से दर्द बढ़ाने के लिए 

जानते हो किस कदर मज़बूर हूँ ,
तुम्हे पाने के लिए .... 
बहुत ही गहरा ज़ख्म देते हो, 
मुझे तड़पाने  के लिए।

मज़ा भी आता है ,'खूब'तुम्हे मेरा 
नींद,चैन उड़ाने के लिए।
हमेशा ही दर्द देते हो,
 मुझे'तुम अपना' 
सुकून पाने के लिए।

मुझ पर तरस आता नहीं तुम्हे,  
 लबों पर अपने 
मुस्कुराहट लाने के लिए। 

कर लो एक और आखिरी सितम, 
छीन लो जिंदगी मेरी,
अपनी जिंदगी खुशियों से 
महकाने के लिए 
.....कमला सिंह .....
 

Thursday, 2 May 2013


क्यों  करता है तू मुझसे इतना प्यार ,
मै कोई खुदा  तो नही।, 
मत कर मेरी बंदगी मेरे यार 
मै कोई तुझ से जुदा तो नहीं।

भरता है हर जख्म  जिंदगी का 
इस सच को जानती हूँ  मै। 
दिल का जख्म भरेगा नहीं मेरा 
ये मानती हूँ मै।

क्यों करता है  इंतजार मेरा, 
जबकि तुझको  भी खबर है ,
इतना आसन नहीं पाना मेरा 
तू इस बात से बेखबर तो नहीं।
........कमला सिंह .....

Wednesday, 1 May 2013

कुछ तो कहो...


तमन्ना दिल की बयाँ ज़ुबां से करो 
जो दिल में है तुम्हारे, कुछ तो कहो।

पत्थरों की बुत बने, यूँ खामोश न रहो, 
उम्र-ए-दराज़,पैमाने का इंतजार न करो।

कभी तो दिल की कहो,कभी दिल की सुनो
कभी बेगानों को, अपनाने की सुनो।

रंगों की तरह बदलते हो कपड़े इश्क़ में, 
यूँ पेश आकर जज़्बातों को हैरान न करो। 

आज एक झूठ है,नफरत करती हूँ तुमसे, 
झूठ तुम भी बोलो मोहब्बत है मुझसे।
.........कमला सिंह .........