Wednesday 2 December 2015

कभी आओ ना फुर्सत में तुम्हें हम ग़म सुना देंगे
हमारे ग़म को सुन लेना वहीं पत्थर बना देंगे
कभी दिल टूटने का हादसा जी भर के सुनना तुम
ये दावा है मेरे मोहसिन तेरी नींदें उड़ा देंगे
मेरे दामन में कांटें हैं , यही तोहफा़ हमारा है
मुक़द्दर में यही तो है तुम्हीं बोलो की क्या देंगे
जो दामन तार है मेरा फ़क़त,क़िस्मत की दौलत है
इसी दामन की क़तरन से कोई गुड़िया बना देंगे
न ग़म करना हमारी मुफलिसी पर ऐ मेरे हमदम
पडेगा वक़्त तो तुझ पर ,चलो खुद को लूटा देंगें
नज़र बद है तो है दुनिया मगर'ज़ीनत'का वादा है
तुम्हारे वास्ते जाओ चलो खुद को छुपा देंगे
----कमला सिंह 'ज़ीनत'

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