Wednesday, 30 July 2014

मुक्तक

चाँद   कह  के   तुझे  पुकारुँगी
तुझको हर शब यूँही  गुजा़रुँगी
माँग कर एक दिन खुदा से तुझे
दिल  के इस झील में  उतारुँगी
-----------कमला सिंह 'ज़ीनत'

No comments:

Post a Comment