कुछ वक़्त पहले औरतों के ऊपर जो टिप्पणी की गयी गयी उस पर कुछ लिखा था
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चुल्हा फुकन में रही हम औरत की जात
आंखन आँसू देख पुरुष,फूले नहीं समात
समय बदलते देख ले ए मरदन की जात
हम मिल के खा जायेंगे तुम सबकी औका़त
----कमला सिंह 'ज़ीनत
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