Friday, 1 August 2014

एक ग़ज़ल हाज़िर है दोस्तों 
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हौसलों की उड़ान ले लेगा 
इन परिंदों की शान ले लेगा 

उसकी खामोशियाँ बताती है 
सब्र का इम्तिहान ले लेगा 

यह नए दौर का खिलौना है 
तेरे बच्चों की जान ले लेगा 

तेरी इज्ज़त वकार की हद में 
जो भी है दरम्यान ले लेगा 

उससे मिलना तो फासला रखना 
वर्ना यह आन-बान ले लेगा 

'ज़ीनत' यह दौरे-बेहयाई है 
सर से दस्तारो-शान ले लेगा 
----कमला सिंह 'ज़ीनत'

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