मेरी एक ग़ज़ल पेश है आपके सामने उम्मीद है पसंद आएगी
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दर्दे ग़म हम सुनाते नहीं
आप का दिल दुखाते नहीं
आँसुओं से कभी तर-ब-तर
कोई चेहरा भी लाते नहीं
दिल बहल जाए जिससे मेरा
आप भी मुस्कुराते नहीं
ढूँढ़ती हूँ जिसे होश में
बदनसीबी है ,पाते नहीं
चाहती हूँ जिसे भूलना
हादसे वो भुलाते नहीं
ग़म के मारे हैं 'ज़ीनत' बहुत
बात सच है छुपाते नहीं
-कमला सिंह 'ज़ीनत'
उम्दा ग़ज़ल
ReplyDeletebehad shukriya
Deletebadhiya abhivyakti...
ReplyDeletebahut aabhar aapka
Deleteji zarur
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletethanx Pratibha ji
Deleteवाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...।
ReplyDeletebahut shukriya aapka
Deletebahut shukriya aapka
ReplyDeleteसुंदर गजल
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