मेरी अपनी सोच, जो लिखा मैंने
------------------------------ ----------
प्रेम की भाषा प्रेम होनी चाहिए
न हिन्दू न मुसलमान होना चाहिए
धङकता है दिल एक सा जिस्म में
प्यार अपना ईमान होना चाहिए
---------कमला सिंह "ज़ीनत "
------------------------------
प्रेम की भाषा प्रेम होनी चाहिए
न हिन्दू न मुसलमान होना चाहिए
धङकता है दिल एक सा जिस्म में
प्यार अपना ईमान होना चाहिए
---------कमला सिंह "ज़ीनत "
No comments:
Post a Comment