मेरे पुस्तक की एक और ग़ज़ल
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सहन अपना बाँट दीजिये
तल्ख़ियों को पाट दीजिये
दूसरों को भी मिले सबक़
इक नया प्लॉट दीजिये
लिख के पूरी अपनी ज़िंदगी
डॉट डॉट डॉट दीजिये
दौर अब नहीं रहा जनाब
भाईयों को डाँट दीजिये
उठ गए जो आपकी तरफ
उँगलियों को काट दीजिये
ज़िंदगी है फ़िल्म ये ज़ीनत
इक हसीन शॉट दीजिये
-------कमला सिंह 'ज़ीनत'
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सहन अपना बाँट दीजिये
तल्ख़ियों को पाट दीजिये
दूसरों को भी मिले सबक़
इक नया प्लॉट दीजिये
लिख के पूरी अपनी ज़िंदगी
डॉट डॉट डॉट दीजिये
दौर अब नहीं रहा जनाब
भाईयों को डाँट दीजिये
उठ गए जो आपकी तरफ
उँगलियों को काट दीजिये
ज़िंदगी है फ़िल्म ये ज़ीनत
इक हसीन शॉट दीजिये
-------कमला सिंह 'ज़ीनत'
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