दिल के जज़्बात
Thursday, 10 April 2014
नज़रों की हया कमाल बन गई
खुद के वास्ते इक जाल बन गई
जुनूँ की हद तक फैली ये गुफ्तगू
जिंदगी फिर इक सवाल बन गई
----कमला सिंह "ज़ीनत "
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