मेरी ग़ज़ल संग्रह 'रेत कि लक़ीर' की एक ग़ज़ल पेश है
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आँधियों से है साबिक़ा मेरा
सख्त मुश्किल है रास्ता मेरा
रोज़ उजड़े हैं रोज़ बिखरे हैं
आप सुनते हैं हादसा मेरा
मेरी राहों में इक समुन्दर है
कौन ऐसे में है सगा मेरा
खोटी क़िस्मत तो ज़िंदगी छोटी
साथ मुश्किल है आपका मेरा
पा-बजौलाँ हूँ जानती हूँ चुभन
खारदारों से वास्ता मेरा
ज़ीनत जी ज़िंदगी का वह आँगन
संगे-दिल कौन बाँटता मेरा
------कमला सिंह ज़ीनत
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आँधियों से है साबिक़ा मेरा
सख्त मुश्किल है रास्ता मेरा
रोज़ उजड़े हैं रोज़ बिखरे हैं
आप सुनते हैं हादसा मेरा
मेरी राहों में इक समुन्दर है
कौन ऐसे में है सगा मेरा
खोटी क़िस्मत तो ज़िंदगी छोटी
साथ मुश्किल है आपका मेरा
पा-बजौलाँ हूँ जानती हूँ चुभन
खारदारों से वास्ता मेरा
ज़ीनत जी ज़िंदगी का वह आँगन
संगे-दिल कौन बाँटता मेरा
------कमला सिंह ज़ीनत
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