Friday, 11 April 2014

तू मेरी आदतों में शुमार हो गया  
जाने क्यूँ  ऐसी भूल कर बैठी मैं 
------कमला सिंह'ज़ीनत 

सलासिल मुहब्बत की कुछ यूँ पकड़ गयी 
सोचा रुख़सती जो तुझसे और जकड़ गयी
------------कमला सिंह 'ज़ीनत'

No comments:

Post a Comment