कुछ फूल भी
कुछ ख़ार भी
ये ज़िंदगी के बहार भी
पल में खट्टी
पल में मीठी
ज़िंदगी के ग़ुबार भी
हँसा दिया कभी
रुला दिया कभी
ये ज़िंदगी के दुलार भी
गले भी लगाया
गले से हटाया
ये ज़िंदगी है खुमार भी
ये ज़िंदगी है प्यार भी
ये ज़िंदगी है बहार भी
....कमला सिंह "ज़ीनत "
कुछ ख़ार भी
ये ज़िंदगी के बहार भी
पल में खट्टी
पल में मीठी
ज़िंदगी के ग़ुबार भी
हँसा दिया कभी
रुला दिया कभी
ये ज़िंदगी के दुलार भी
गले भी लगाया
गले से हटाया
ये ज़िंदगी है खुमार भी
ये ज़िंदगी है प्यार भी
ये ज़िंदगी है बहार भी
....कमला सिंह "ज़ीनत "
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