क्यूँ मज़हबों की बात करते हो
क्यूँ फासला दिन रात करते हो
करो शुक्रिया उस उपरवाले का
क्यूँ नफरतों की बरसात करते हो
-------कमला सिंह "ज़ीनत "
क्यूँ फासला दिन रात करते हो
करो शुक्रिया उस उपरवाले का
क्यूँ नफरतों की बरसात करते हो
-------कमला सिंह "ज़ीनत "
वाह...लाज़वाब ग़ज़ल..
ReplyDeletebahut aabhar aapka
Deletebahut aabhar aap sabhi sammanniye mahanubhvon ka
ReplyDeleteBahut khoob likha
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव...
ReplyDeletethanku sir
Deletebahut shukriya
ReplyDeleteshukriya sir
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