एक ग़ज़ल मेरी सोच ,मेरा नज़रिया
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हर तरफ सिर्फ मारा मारी है
आग के लहजे में चिंगारी है
आज भी देते हैं मेहमाँ का पता
अब परिंदों में ही खुद्दारी है
कम ही किरदार से बड़े हैं लोग
हर बड़ा नाम तो अखबारी है
रस्में उल्फत निभा रहे हैं लोग
दिल में एक सर्द जंग जारी है
फूल नश्तर में ढल गए हैं सभी
शाख़ पे काँटों की फुलवारी है
ये क़यामत नहीं तो क्या 'ज़ीनत'
जिस तरफ देखिये बमबारी है
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
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हर तरफ सिर्फ मारा मारी है
आग के लहजे में चिंगारी है
आज भी देते हैं मेहमाँ का पता
अब परिंदों में ही खुद्दारी है
कम ही किरदार से बड़े हैं लोग
हर बड़ा नाम तो अखबारी है
रस्में उल्फत निभा रहे हैं लोग
दिल में एक सर्द जंग जारी है
फूल नश्तर में ढल गए हैं सभी
शाख़ पे काँटों की फुलवारी है
ये क़यामत नहीं तो क्या 'ज़ीनत'
जिस तरफ देखिये बमबारी है
----कमला सिंह 'ज़ीनत'
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01-05-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
ReplyDeleteआभार
bahut aabhar Dilbag Virk ji
Deleteआज भी देते हैं मेहमाँ का पता
ReplyDeleteअब परिंदों में ही खुद्दारी है
bahut khoob
shubhkamnayen
bahut shukriya prritiy ji
Deleteकम ही किरदार से बड़े हैं लोग
ReplyDeleteहर बड़ा नाम तो अखबारी है
वाह, जीनत जी, बहोत खूब।
bahu bahut aabhar aapka ASHA JI
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