Tuesday, 29 April 2014

---------इश्क --(नज़्म)
लफ्ज़ ये इश्क मोअत्त्बर है बहुत 
कोई चाहे तो कर नहीं सकता 
कोई चाहे तो इश्क होता नहीं 
सबकी किस्मत में इसका रंग नहीं 
सबके दामन में नूर इसका नहीं 
सबके लकीरों में ये नहीं लिखा 
इश्क अल्हड़ है,बावला है ये 
जिसको होता है,सो नहीं सकता 
रोना चाहे तो,रो नहीं सकता 
इश्क रब से हो तो,मूसा कर दे
इश्क रब से हो तो,ईसा कर दे
ऐशकरनी करे,किसी को इश्क
कोई बन जाती है मीरा पल में
लाख मंदिर में कोई सेवा करे
लाख मस्जिद में दे अज़ान कोई
लाख मेवा चढ़ाये ईश्वर को
लाख सजदे में गिर पड़े कोई
इश्क करने से हो नहीं सकता
इश्क का बीज बो नहीं सकता
जब कोई इश्क में खो जाता है
इश्क ही इश्क वो हो जाता है
इश्क ही इश्क वो हो जाता है
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'

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