Friday, 9 August 2013

वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम 
क्या ज़बरदस्त तेरी आमद है 
आँख भर देख लिया हर चप्पा 
कोई गम का निशान नहीं मिलता 
कोई मुफलिस नज़र नहीं आता 
हर तरफ रौशनी सी छाई है
क्या मज़ा ईद की पुरवाई है 
आज हर सू निगाह रोशन है 
आज खुशबू हवा में शामिल है 
कोई भूखा नज़र नहीं आता 
कोई नंगा नज़र नहीं आता 
कोई चिथड़ों में घूमता ही नहीं 
आज दर पे कोई सवाली  नहीं 
हर तरफ शाद,शाद,शाद,ही है 
लबें बुलबुल पे मुहब्बत का पैगाम
गोल दर गोल खुश कलाम वो पयाम 
वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम
वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम   
------------------कमला सिंह ज़ीनत 

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