बैठा दिया फलक पे ज़मीं से उठाकर
छुपा लिया मुझको खुद से चुराकर
लुटा दिया दौलत प्यार की मुझ पर
छन में ही मुझको अपना बनाकर
रश्क करने लगी मैं, तुझको पाकर
जिंदगी से मिले हर गम को भुलाकर
हर गम जिंदगी के सौगात में बदल गए
मुलाकात हुई तुझसे खुद को मिटाकर
अचानक हुआ क्या,'ज़ीनत' भूल गए तुम
जिंदगी को ठुकराया मौत को अपनाकर
------------------------कमला सिंह ज़ीनत
बहुत ही खूब......
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