आज बारिश का तूफ़ान आया है
किसी से बिछड़ने का पैगाम आया है
रो रहा है अनवरत बहते दर्द में अपने
जिंदगी से जिंदगी को मौत का पैगाम आया है
कराहने की आवाज़ सुनाई देती है मुझको
मेरी तरह आज कोई बिलख रहा है
जाने कैसा ज़लज़ला है दर्द-ए -दिल का
वजूद से रूह आज बिछड़ रहा है
कोई कैसे समझाए इन्हें
दर्द कैसा होता है
खिंच लेता है साँसे,धड़कन से
ये जिस्म जैसा होता है
सैलाब उमड़ आया है आंसुओं का
ये जीवन नीरस-रंगहीन होता है
छीन लिए रंग किसी ने जीवन के
खाली कैनवास जैसा होता है
रोते हैं इक बार सभी
जिंदगी में,
पर उल्फत का रोना अजीब होता है
ये दर्द कैसा होता है
ये दर्द कैसा होता है
ये दर्द ऐसा होता है
------------------------कमला सिंह ज़ीनत
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