Sunday, 18 August 2013

आज बारिश का तूफ़ान आया है 
किसी से बिछड़ने का पैगाम आया है
रो रहा है अनवरत बहते दर्द में अपने 
जिंदगी से जिंदगी को मौत का पैगाम आया है 
कराहने की आवाज़ सुनाई देती है मुझको 
मेरी तरह आज कोई बिलख रहा है
जाने कैसा ज़लज़ला है दर्द-ए -दिल का 
वजूद से रूह आज बिछड़ रहा है 
कोई कैसे समझाए इन्हें
दर्द कैसा होता है
खिंच लेता है साँसे,धड़कन से 
ये जिस्म जैसा होता है 
सैलाब उमड़ आया है आंसुओं का 
ये जीवन नीरस-रंगहीन होता है 
छीन लिए रंग किसी ने जीवन के 
खाली  कैनवास जैसा होता है 
रोते हैं इक बार सभी 
जिंदगी में, 
पर उल्फत का रोना अजीब होता है 
ये दर्द कैसा होता है
ये दर्द कैसा होता है 
ये दर्द ऐसा होता है 
------------------------कमला सिंह ज़ीनत  

No comments:

Post a Comment