उलझन से भरी जिंदगी क्यों है
कुछ मीठी कुछ खरी क्यों है
जब भी देखो नया तूफ़ान होता है
बस नाचने में ही शाम होता है
भागते रहो सुबह से शाम तक
फिर वहीँ किस्सा तमाम होता है
अजीब उलट-फेर है जिंदगी का
होना वही ढाक के तीन पात होता है
----------------------कमला सिंह 'ज़ीनत '
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