वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम
क्या ज़बरदस्त तेरी आमद है
आँख भर देख लिया हर चप्पा
कोई गम का निशान नहीं मिलता
कोई मुफलिस नज़र नहीं आता
हर तरफ रौशनी सी छाई है
क्या मज़ा ईद की पुरवाई है
आज हर सू निगाह रोशन है
आज खुशबू हवा में शामिल है
कोई भूखा नज़र नहीं आता
कोई नंगा नज़र नहीं आता
कोई चिथड़ों में घूमता ही नहीं
आज दर पे कोई सवाली नहीं
हर तरफ शाद,शाद,शाद,ही है
लबें बुलबुल पे मुहब्बत का पैगाम
गोल दर गोल खुश कलाम वो पयाम
वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम
वाह रे ईद तुझे मेरा सलाम
------------------कमला सिंह ज़ीनत
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