हर लम्हा तेरा इंतजार क्यों है
पल पल तुझ पर निसार क्यों है
सुबह को रात का इंतजार क्यों है
रात को सूरज से प्यार क्यों है
हसरतें इतनी बेकरार क्यों है
ख्वाबों का दिल पे इख़्तियार क्यों है
हर रुत खुशगवार क्यों है
धडकनों की रफ़्तार तेज़ क्यों है
कदमों की चाल लडखडाई क्यों है
मन में इतना उन्माद क्यों है
उमंगें इतनी बेपरवाह क्यों है
वक़्त की चाल धीमी क्यों है
मौत को जिंदगी से मुहब्बत क्यों है
दिल से दिल को उल्फत क्यों है
महबूब से मुझे मुहब्बत क्यों है
दिल को मिलने की आस क्यों है
लबों में इतनी प्यास क्यों है
जिंदगी इतनी खास क्यों है
----------------कमला सिंह ज़ीनत
No comments:
Post a Comment