Thursday, 15 August 2013

महबूब

हर लम्हा तेरा इंतजार क्यों है 
पल पल तुझ पर निसार क्यों है 
सुबह को रात का इंतजार क्यों है 
रात  को सूरज से प्यार  क्यों है
हसरतें इतनी बेकरार क्यों है
ख्वाबों का दिल पे इख़्तियार क्यों है 
हर रुत खुशगवार क्यों है   
धडकनों की रफ़्तार तेज़ क्यों है 
कदमों की चाल लडखडाई क्यों है 
मन में इतना उन्माद क्यों है 
उमंगें इतनी बेपरवाह क्यों है 
वक़्त की चाल धीमी क्यों है
मौत को जिंदगी से मुहब्बत क्यों है
दिल से दिल को उल्फत क्यों है 
महबूब से मुझे मुहब्बत क्यों है
दिल को मिलने की आस क्यों है 
लबों में इतनी प्यास क्यों है 
जिंदगी इतनी खास क्यों है  
----------------कमला सिंह ज़ीनत 

No comments:

Post a Comment