दिल्ली जलमग्न हुई जाती है
खुद में इक नज़्म हुई जाती है
हरा-भरा उपवन सा लगता हैं
मौसम रंगीन हुई जाती है
-------------कमला सिंह ज़ीनत
dilli jalmagn hui jati hai
khud me ik nazm hui jati hai
haraa-bhra upwan sa lagta hai
mausam rangeen hui jati hai
------------------kamla singh zeenat
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