मुद्दतों के बाद आज मुस्कुराना आया
रोने के बाद आज फिर हँसाना आया
फासले बहुत हैं हँसाने और रोने के दरमियाँ
वक़्त के साथ ज़ख़्म ज़िन्दगी का भूलना आया
तूफ़ान का दौर था,संभलना आया
आँधियों को समेटना आया
यादों को सहेजना आया
ख्वाबों को लपेटना आया
जाने क्या-क्या सोचना आया
सैलाब आँसुओं का थामना आया
हसरतों को सँवारना आया
खुशियों को तलाशना आया
दुश्मनों को भूलना आया
और तो और
भूल-कर सब कुछ
ज़िन्दगी को जिंदगी से लिपटना आया
फिर से हँसना और रोना आया
------------------कमला सिंह ज़ीनत
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