Thursday, 15 August 2013

गुजरा ज़माना

आज फिर वो ज़माना याद आया 
दिन वो सुहाना याद आया 
मिलना मिलाना याद आया 
छुप छुप के मिलना याद आया 
रूठना मनाना  याद आया 
गुमसुम रहना याद आया 
ख्यालों में खोना  याद आया 
सपनों का महल याद आया
अश्कों का बहना याद आया 
गेसुओं से उलझना याद आया 
तीर-ए-नीम कश सपने याद आये 
तसव्वुर में भटकना याद आया 
पहली वो खलिश याद आई 
तुझ में सिमटना याद आया
घबरा कर लिपटना याद आया 
खोया हर वो शय याद आया 
हर वो सपना याद आया 
मेरा कोई अपना याद आया 
आज फिर वो ज़माना याद आया 
दिन वो सुहाना याद आया
--------------कमला सिंह ज़ीनत  

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